Monday 21 March 2016

मैं क्या हूँ ?

Preface

इस संसार में जानने योग्य अनेक बातें है । विद्या के अनेकों सूत्र हैं, खोज के लिए, जानकारी प्राप्त करने के लिए, अमित मार्ग है । अनेकों विज्ञान ऐसे हैं, जिनकी बहुत कुछ जानकारी मनुष्य की स्वाभाविक वृत्ति है । क्यों ? कैसे ? कहाँ ? कब ? के प्रश्न हर क्षेत्रमें वह फेंकता है । इस जिज्ञासा भाव के कारण ही मनुष्य अब तक इतना ज्ञान संपन्न और साधन संपन्न बना है । सचमुच ज्ञान ही जीवन का प्रकाश स्तंभ है । जानकारी की अनेक वस्तुओं में से अपने आपकी जानकारी सर्वोपरि है । हम बाहरी अनेक बातों को जानते है याजानने का प्रयत्न करते हैं, पर यह भूल जाते हैं कि हम स्वयं क्या है ? अपने आपके ज्ञान प्राप्त किए बिना जीवन क्रम बड़ाडाँवाडोल. अनिश्चित और कंटकाकीर्ण हो जाता है । अपने वास्तविक स्वरूप की जानकारी न होने के कारण मनुष्य न सोचने लायक बातें सोचता है और न करने लायक कार्य करता है । सच्चीसुख-शांति का राजमार्ग एक ही है, और वह है- आत्मज्ञान । 

इस पुस्तक में आत्मज्ञान की शिक्षा है । मैं क्या हूँ ? इस प्रश्न का उत्तर शब्दों द्वारा नहीं, वरन् साधना द्वारा हृदयंगम करानेका प्रयत्न इस पुस्तक में किया गया है । यह पुस्तक अध्यात्म मार्गके पथिकों का उपयोगी पथ प्रदर्शन करेगी, ऐसी हमें आशा है ।

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