नवरात्रि को देवत्व के स्वर्ग से धरती पर उतरने का विशेष पर्व
माना जाता है। उस अवसर पर सुसंस्कारी आत्माएँ अपने भीतर समुद्र
मंथन जैसी हलचलें उभरती देखते हैं। जो उन्हें सुनियोजित कर सकें
वे वैसी ही रत्न राशि उपलब्ध करते हैं जैसी कि पौराणिक काल
में उपलब्ध हुई मानी जाती हैं। इन दिनों परिष्कृत अन्तराल में
ऐसी उमंगें भी उठती हैं जिनका अनुसरण सम्भव हो सके तो दैवी
अनुग्रह पाने का ही नहीं देवोपम बनने का अवसर भी मिलता है यों
ईश्वरीय अनुग्रह सत्पात्रों पर सदा ही बरसता है, पर ऐसे कुछ
विशेष अवसर मिल सके। इन अवसरों को पावन पर्व कहते हैं।
नवरात्रियों का पर्व मुहूर्तों
में विशेष स्थान है। उस अवसर पर देव प्रकृति की आत्माएँ किसी
अदृश्य प्रेरणा से प्रेरित होकर आत्म कल्याण एवं लोक मंगल क्रिया
कलापों में अनायास ही रस लेने लगती हैं।
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