बाल संस्कारशाला मार्गदर्शिका
पुस्तिका में विभिन्न धर्म- सम्प्रदायों में श्रद्धा रखने वाले
छात्र- छात्राओं का विशेष ध्यान रखते हुए प्रार्थना आदि में तथा प्रेरक
प्रसंगों आदि में किन बातों पर ध्यान दिया जाय, आदि टिप्पणियाँ देने का
प्रयास किया गया है। जैसे- प्रार्थना के बाद अपने इष्ट का ध्यान, उनसे ही
सद्बुद्घि माँगने के लिए गायत्री जप, अन्य मंत्र या नाम जप करें। विभिन्न
सम्प्रदायों के श्रेष्ठ पुरुषों के प्रसंग चुने जाएँ। बच्चों से भी उनके
जीवन एवं आदर्शों के बारे में पूछा जा सकता है, उन पर विधेयात्मक समीक्षा
करें, आदि। विभिन्न स्कूलों में जाने वाले बच्चों को गणित, विज्ञान,
अंग्रेजी जैसे विषयों में कोचिंग देने, होमवर्क में सहयोग करने, योग-
व्यायाम सिखाने जैसे आकर्षणों के माध्यम से एकत्रित किया जा सकता है।
सप्ताह में एक बार इस पुस्तिका के आधार पर कक्षा चलाई जा सकती है। प्रति
दिन के क्रम में प्रारंभ में प्रार्थना, अंत में शांतिपाठ जैसे संक्षिप्त
प्रसंग जोड़े जा सकते हैं। पढ़ी- लिखी बहिनें, सृजन कुशल भाई, रिटायर्ड परिजन
इस पुण्य प्रयोजन में लग जाएँ तो प्रत्येक मोहल्ले में ‘बाल संस्कार
शालाओं’ का क्रम चल सकता है। विद्यालय के ‘संस्कृति मंडलों’ में भी यह
प्रयोग बखूबी किया जा सकता है। हमें विश्वास है कि भावनाशील परिजन लोक
मंगल, आत्मनिर्माण एवं राष्ट्र निर्माण का पथ प्रशस्त करने वाले इस पुण्य
कार्य में तत्परता पूर्वक जुट पड़ेंगे।
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