Tuesday, 25 October 2016

खाते समय इन बातों का ध्यान रखें

http://www.awgpstore.com/gallery/product/init?id=138अध्यात्म विद्या के वैज्ञानिक ऋषियों ने आहार के सूक्ष्म गुणों का अत्यंत गंभीरतापूर्वक अध्ययन किया था और यह पाया था कि प्रत्येक खाद्य- पदार्थ अपने में सात्विक, राजसिक, तामसिक गुण धारण किए हुए है और उनके खाने से मनोभूमि का निर्माण भी वैसा ही होता है । साथ ही यह भी शोध की गई थी कि आहार में निकटवर्ती स्थिति का प्रभाव ग्रहण करने का भी एक विशेष गुण है । दुष्ट, दुराचारी, दुर्भावनायुक्त या हीन मनोवृत्ति के लोग यदि भोजन पकावें या परसे, तो उनके वे दुर्गुण आहार के साथ सम्मिश्रित होकर खाने वाले पर अपना प्रभाव अवश्य डालेंगे । न्याय और अन्याय से, पाप और पुण्य से कमाए हुए पैसे से जो आहार खरीदा गया है उससे भी वह प्रभावित रहेगा । अनीति की कमाई से जो आहार बनेगा वह भी अवश्य ही उसके उपभोक्ता को अपनी बुरी प्रकृति से प्रभावित करेगा ।

इन बातों पर भली प्रकार विचार करके उपनिषदों के ऋषियों ने साधक को सतोगुणी आहार ही अपनाने पर बहुत जोर दिया है । मद्य, मांस, प्याज, लहसुन, मसाले, चटपटे, उत्तेजक, नशीले, गरिष्ठ, बासी, बुसे, तमोगुणी प्रकृति के पदार्थ त्याग देने ही योग्य हैं । इसी प्रकार दुष्ट प्रकृति के लोगों द्वारा बनाया हुआ अथवा अनीति से कमाया हुआ आहार भी सर्वथा त्याज्य है । इन बातों का ध्यान रखते हुए स्वाद के लिए या जीवन रक्षा के लिए जो अन्न औषधि रूप समझकर, भगवान का प्रसाद मानकर ग्रहण किया जाएगा 

 

Buy online:

http://www.awgpstore.com/gallery/product/init?id=138



No comments:

Post a Comment