Preface
संसार में दिखलाई देने वाले शारीरिक एवं मानसिक दोषों में अधिकांश का कारण आहार संबंधी अज्ञान एवं असंयम ही है ।। जो भोजन शरीर को शक्ति और मन बुद्धि को प्रखरता प्रदान करता है ।। वहीं असंयमित अथवा अनुपयुक्त होने पर उन्हें रोगी एवं निस्तेज भी बना देता है ।। शारीरिक अथवा मानसिक विकृतियों को भोजन विषयक भूलों का ही परिणाम मानना चाहिए ।। अन्न दोष संसार के समस्त दोषों की जड़ है- " जैसा खाए अन्न वैसा बने मन "वाली कहावत से यही प्रतिध्वनित होता है कि मनुष्य की अच्छी बुरी प्रवृत्तियों का जन्म एवं पालन अच्छे बुरे आहार पर ही निर्भर है ।। नि :संदेह मनुष्य जिस प्रकार का राजसी, तामसी अथवा सात्त्विकी भोजन करता है उसी प्रकार उसके गुणों एवं स्वभाव का निर्माण होता है ।।Buy Online@ http://www.awgpstore.com/gallery/product/init?id=876
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