Wednesday, 18 May 2016

गायत्री की दैनिक साधना एवं यज्ञ पद्धति


Preface

गायत्री मंत्र का सच्चे हृदय से जप करने से मनुष्य का आत्मिक कायाकल्प हो जाता है और उसे ऐसा जान पड़ता है कि उसके हृदय से सब प्रकार के विकार दूर होकर, सतोगुणी तत्त्वों की अभिवृद्धि हो रही है । इसके प्रभाव से विवेक दूरदर्शिता, तत्त्वज्ञान का उदय होकर अनेक अज्ञान जनित दुःखों का निवारण होता है । गायत्री-साधना से मनुष्य के अंतर्मन में ऐसी दृढ़ श्रद्धा का आविर्भाव होता है कि वह सब प्रकार की विघ्न-बाधाओं और प्रतिकूल परिस्थितियों को हँसते-हँसते सहन कर लेता है । भली-बुरी सब प्रकार की अवस्थाओं में वह साम्यभाव रखकर शांतिपूर्वक जीवन व्यतीत करता है । उसको संसार की सबसे बड़ी शक्ति आत्मबल प्राप्त हो जाता है, जिसके द्वारा वह अनेक प्रकार के सांसारिक लाभों और मनोकामनाओं को भी सहज में प्राप्त कर लेता है ।

गायत्री का मुख्य प्रभाव केवल कुछ सांसारिक लाभ प्राप्त कर लेना अथवा विपत्तियों सें रक्षा पा जाना नहीं है । उसका सबसे बड़ा प्रभाव तो यह है कि वह मनुष्य के मन को, अंत करण को, मस्तिष्क को एवं विचारधारा को सन्मार्ग की तरफ प्रेरित करती है और एक सच्चे मनुष्यत्व का विकास करती है, सत्तेत्त्व की वृद्धि करना ही इसका प्रधान कार्य है ।

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