दूसरे के छिद्र देखने से पहले अपने छिद्रों को टटोलो। किसी और
की बुराई करने से पहले यह देख लो कि हम में तो कोई बुराई
नहीं है। यदि हो तो पहले उसे दूर क रो। दूसरों की निन्दा करने
में जितना समय देते हो उतना समय अपने आत्मोत्कर्ष में लगाओ। तब
स्वयं इससे सहमत होंगे कि परनिंदा से बढऩे वाले द्वेष को त्याग कर परमानंद प्राप्ति की ओर बढ़ रहे हो।
संसार को जीतने की इच्छा करने वाले मनुष्यों! पहले अपने केा जीतने की चेष्टा करो। यदि तुम ऐसा कर सके तो एक दिन तुम्हारा विश्व विजेता बनने का स्वप्न पूरा होकर रहेगा। तुम अपने जितेंद्रिय रूप से संसार के सब प्राणियों को अपने संकेत पर चला सकोगे। संसार का कोई भी जीव तुम्हारा विरोधी नहीं रहेगा।
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