Saturday, 18 June 2016

Vyaktitva Vikas Ki Uchastriya Sadhana-20

Preface

अध्यात्म विद्या के अन्तर्गत साधनाओं का ज्ञान और विज्ञान दो पक्षों में विभाजित कर विवेचन किया जाता है। ज्ञान पक्ष वह है जो पशु व मनुष्य के बीच एक विभाजन रेखा प्रस्तुत कर मनुष्य को इस सुरदुलर्भ अवसर का सदुपयोग करने की दिशा धारा प्रदान करता है। इसके लिए क्या सोचना, कैसे सोचना, सदाचार-संयम अपनाकर उच्चस्तरीय सिद्धान्तों पर चलते हुए कैसे आदर्शवादी जीवन जीया, यही सब कुछ इसमें सिखाया जाता है। विज्ञान पक्ष वह है, जिसमे कुछ शारीरिक-मानसिक क्रियाकृत्यों के द्वारा भावनात्मक तादात्म्यता का आश्रय लेकर योगसाधानाएँ सम्पन्न की जाती हैं। एवं आत्मिक जगत में प्रगति की चरम अवस्था तक बढ़ने का प्रयास किया जाता है। इसी पूरे ऊहापोह को योगविज्ञान के मर्मज्ञ पतंजालि ऋषि ने अष्टांग योग के रूप में यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारण, ध्यान, समाधि इन आठ वर्गों में बांट दिया।

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