निदान चिकित्सा
योग्य द्रव्यों और योग्य क्रमों को अपनाकर चिकित्सा देने पर रोगी
रोगमुक्त हो स्वस्थ हो जाता है, अर्थात् चिकित्सा का उद्देश्य पूर्ण हो
पाता है ।
चिकित्सक को निदान शास्त्र एवं चिकित्सा विज्ञान का आयुर्वेद परख ज्ञान हो
तो आयुर्वेदिक चिकित्सा देने में सरलता हो जाती है । इस उद्देश्य की आंशिक
पूर्ति हो सके इस हेतु से, उपर्युक्त सूत्रों को ध्यान में रखते हुए,
प्रस्तुत पुस्तक में शरीरस्थं विविध संस्थानों की रचना, क्रिया तथा तज्जन्य
मुख्य रोगों का परिचय देते हुए, उनकी चिकित्सा का समयानुरूप संक्षिप्त
विवरण देने का प्रयास किया गया है ।
निदान से चिकित्सा के शिखर तक पहुँचाने में यह पुस्तक प्रथम सोपान का काम
कर सकेगी, जिससे आगे बढ़ते हुए, भविष्य में चिकित्सा का अंतिम लक्ष्य
प्राप्त करने में जिज्ञासु सफल हो सकें ।
इसी आशा और विश्वास से इसका अनुशीलन करने वाले अवश्य लाभान्वित होंगे ।
योग्य परामर्श की अपेक्षा रखते हुए उन सभी लेखकों का हृदय से आभारी हूँ
जिनकी पुस्तकों या लेखों से इन पुस्तक के लेखन कार्य में सहयोग प्राप्त हुआ
है ।
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