जडी़-बूटियों की व्यवसायिक खेती
युग निर्माण अभियान के जनक वेदमूर्ति, तपोनिष्ठ पं० श्रीराम
शर्मा आचार्य ने किसी संदर्भ में कहा था- “जड़ी-बूटियाँ देश को स्वास्थ्य और
सम्पन्नता दोनों दे सकती हैं ।“ उस समय उनके कथन की गहराई भले ही समझ में न
आयी हो, वर्तमान परिस्थितियों की समीक्षा करने से यह बात बहुत स्पष्ट रूप
से समझ में आने लगी है ।
जैसे-
1.लगता है प्रकृति ने जड़ी-बूटियों के गुणों को नये सिरे से उकेरना-उभारना
शुरू कर दिया है । एलोपैथी जैसी स्थापित उपचार पद्धतियों के मुकाबले भी
जड़ी-बूटी चिकित्सा अपना महत्त्व स्थापित करती जा रही है ।
2.जन सामान्य से लेकर प्रबुद्धों और सम्पन्नों में जड़ीबूटी आधारित उत्पादों
के प्रति अभिरुचि बढ़ रही है । विशेषज्ञ और चिकित्सक वर्ग भी अनेकों
शोध-प्रयोग करके जड़ी-बूटी आधारित नये-नये उत्पाद उपलब्ध करा रहा है ।
3.जडी़-बूटियों की बढ़ती निर्विवाद उपयोगिता के कारण उनकी कीमतें राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में काफी ऊँची हो गयी है ।
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