जडी-बूटियो द्वारा स्वास्थ्य संरक्षण
जड़ी- बूटी चिकित्सा
युग की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता
आज सभ्यता की घुड़दौड़- आपाधापी ने मनुष्य को स्वास्थ्य के विषय में इस सीमा
तक परावलंबी बना दिया है कि वह प्राकृतिक जीवनक्रम ही भुला बैठा है ।। फलत:
आए दिन रोग- शोकों के विग्रह खड़े होते रहते हैं व छोटी- छोटी व्याधियों के
नाम पर अनाप- शनाप धन नष्ट होता रहता है ।। मनुष्य अंदर से खोखला होता चला
जा रहा है ।। जीवनीशक्ति का चारों ओर अभाव नजर आता है ।। मौसम में आए दिन
होते रहने वाले परिवर्तन उसे व्याधिग्रस्त कर देते हैं, जबकि यही मनुष्य २५
वर्ष पूर्व तक इन्हीं का सामना भलीभाति कर लेता था ।। आज शताधिकों की
संख्या उंगलियों पर गिनने योग्य है ।। जबकि हमारे पूर्वज कई वर्षो तक जीवित
रहते थे, उनके पराक्रमों की गाथाएँ सुनकर हम आश्चर्यचकित रह जाते हैं ।।
आहार- विहार में समाविष्ट कृत्रिमता ने जिस प्रकार जिस सीमा तक शरीर के
अंग- अवयवों को अपंग- असमर्थ बनाया, उसी प्रकार चिकित्सा क्रम भी बनते चले
गए ।। पूर्वकाल में आयुर्वेद ही स्वास्थ्य संरक्षण का एकमात्र माध्यम था ।।
धीरे- धीरे वृहत्तर भारत में समाविष्ट अन्य संस्कृतियों के साथ यहाँ अन्य
पैथियां भी आई और आज चिकित्सा के नाम पर ढेरों पद्धतियाँ प्रयुक्त होती हैं
।।
Buy online:
No comments:
Post a Comment