तुलसी के चमत्कारी गुण
जब से संसार में सभ्यता का उदय हुआ है, मनुष्य रोग और औषधि इन
दोनों शब्दों को सुनते आए हैं । जब हम किसी शारीरिक कष्ट का अनुभव करते हैं
तभी हम को औषधि की याद आ जातीहै, पर आजकल औषधि को हम जिस प्रकार टेबलेट ,
मिक्चर , इंजेक्शन , कैप्सूल आदि नए-नए रूपों में देखते हैं, वैसी
बातपुराने समय में न थी । उस समय सामान्य वनस्पतियाँ और कुछ जड़ी-बूटियाँ ही
स्वाभाविक रूप में औषधि का काम देती थीं औरउन्हीं से बड़े-बड़े रोग शीघ्र
निर्मूल हो जाते थे, तुलसी भी उसी प्रकार की औषधियों में से एक थी ।
जब तुलसी के निरंतर प्रयोग से ऋषियों ने यह अनुभव किया कि यह वनस्पति एक
नहीं सैकड़ों छोटे -बड़े रोगों मेंलाभ पहुँचाती है और इसके द्वारा आस पास का
वातावरण भी शुद्ध और स्वास्थ्यप्रद रहता है तो उन्होंने विभिन्न प्रकार से
इसके प्रचारका प्रयत्न किया। उन्होंने प्रत्येक घर में तुलसी का कम से
कमएक पौधा लगाना और अच्छी तरह से देखभाल करते रहना धर्म कर्त्तव्य बतलाया ।
खास-खास धार्मिक स्थानों पर तुलसी कानन बनाने की भी उन्होंने सलाह दी,
जिसका प्रभाव दूर तक के वातावरण पर पड़े ।
धीरे- धीरे तुलसी के स्वास्थ्य प्रदायक गुणों और सात्विक प्रभाव के कारण
उसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि लोग उसेभक्ति भाव की दृष्टि से देखने लगे,
उसे पूज्य माना जाने लगा ।
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