आसन-प्राणायाम से आधि-व्याधि निवारण
यह एक निर्विवाद तथ्य है कि आज की सभ्यता की घुड़दौड़ में मानव
समुदाय शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से जर्जर, दिनोंदिन दुर्बल होता चला जा
रहा है इतना ही नहीं उसका दिन का चैन एवं रात की नींद भी प्रभावित होते
चले जाने से तनाव जन्य रोगों एवं मनोविकारों में बड़ी तेजी से अभिवृद्धि हुई
है ।। सभ्यता की दिशा में प्रगति से आधुनिक विज्ञान ने अनेकानेक- साधन
मनुष्य को उपलब्ध कराए हैं ।। द्रुतगामी वाहन, ऐशो- आराम के साधन जहाँ एक
समुदाय को अकर्मण्य आलसी बनाते चले जा रहे हैं, वहाँ दूसरी ओर स्वास्थ्य के
आहार- विहार संबंधी नियमों की जानकारी के अभाव में एक बहुसंख्यक समुदाय जो
ग्रामों या कस्बों में निवास करता है अपेक्षाकृत अधिक जल्दी रोगी एवं बूढ़ा
होता चला जा रहा है ।।
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