श्वास-प्रश्वास-विज्ञान
श्वास सही तरीके से लीजिए
हमारा शरीर पंचतत्त्वों से मिलकर बना है ।। साधारण दृष्टि से देखने पर
मिट्टी, जल, वायु आदि तत्त्व सर्वथा जड़ पदार्थ प्रतीत होते हैं, पर इन्हीं
के विधिपूर्वक मिला दिए जाने से मानव देह जैसे अद्भुत क्रियाशील और
क्षमतायुक्त यंत्र का निर्माण हो जाता है ।। सामान्य रीति से देखने पर हमें
लाखों मन मिट्टी के ढेर चारों तरफ पड़े दिखलाई देते हैं, जल की अनंत राशि
भी कुएँ तालाब, नदी, समुद्र आदि में भरी हुई है ।। वायु रात- दिन हमारे
इर्द- गिर्द छोटे से छोटे स्थान में भी व्याप्त रहती ही है ।। बाह्य रूप
में हमको इनमें कोई ऐसी विशेषता या शक्ति नहीं दिखलाई पड़ती कि जिससे यह
अनुमान किया जा सके कि हमारा यह महान शक्तियों से संपन्न अस्थि, मांस,
रक्त, नाडियाँं, स्नायु पाचनसंस्थान, श्वास यंत्र, मस्तिष्क आदि से युक्त
शरीर इन तुच्छ- सा मालूम देने वाले पदार्थों के संयोग से निर्मित हुआ होगा
।। पर वास्तविकता यही है कि मानव शरीर ही नहीं, हाथी जैसे विशाल प्राणी से
लेकर चींटी तक की देह की रचना पंचतत्त्वों के संयोग से ही हुई है और जब तक
वह जीवित रहते हैं तब तक इन्हीं तत्त्वों से पोषण और शक्ति प्राप्त होती
रहती है ।।
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