Sunday, 6 November 2016

राष्ट्रमाता कस्तूरबा गाँधी

http://www.awgpstore.com/gallery/product/init?id=1234भारतीय नारियों के लिए आदर्श - राष्ट्रमाता कस्तूरबा

यह उस समय की बात है जब महात्मा गांधी भारतवासियों पर किये जाने वाले अत्याचारों के विरुद्ध दक्षिण अफ्रीका में गोरों की सरकार से जूझ रहे थे । सरकार हिंदुस्तानियों को पदावनत और दीन-हीन बनाने के लिए नये-नये कानून बना रही थी और गांधी जी अपने अहिंसात्मक सत्याग्रह से उसके आक्रमण को व्यर्थ करने का प्रयत्न कर रहे थे । उन्हीं दिनों सरकारी अधिकारियों ने एक नियम यह बनाया कि भारतवासियों के अपनी धार्मिक पद्धति के अनुसार किये विवाह गैर कानूनी माने जायेंगे और उनकी स्त्रियाँ पत्नी नहीं रखेल के दर्जे की समझी जायेंगी । गांधी जी तो इसके विरुद्ध सत्याग्रह करने ही वाले थे, पर उन्होंने विचार किया कि इस प्रश्न पर यदि स्त्रियाँ भी सत्याग्रह में भाग लेकर जेल जायें तो ठीक रहेगा । साथ ही वे यह भी जानते थे कि स्त्रियों का जेल जाना खतरे का काम है । इसलिए उन्होंने विचार किया कि सबसे पहले अपनी पत्नी कस्तूरबा को ही इसके लिए तैयार किया जाए । वे जानते थे कि यदि वे बा से जेल जाने को कहेंगे, तो वह इनकार तो नहीं करेगी, पर बाद में उसका कहाँ तक निर्वाह कर सकेगी, इसका निश्चय न था । इसलिए वे ऐसा अवसर खोजने लगे, जब सामान्य बात-चीत करते हुए इसकी चर्चा कर ली जाय । 

 

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