Friday, 4 November 2016

जीवट एवं संकल्पशक्ति के धनी पराक्रमी व्यक्तित्व

http://www.awgpstore.com/gallery/product/init?id=715संसार में महापुरुष अनेक श्रेणियों के होते हैं। हमारे यहाँ के सामान्य जन तो इतना ही समझते हैं कि लोग एकांत में रहकर तपस्या करते हैं, कंदमूल, फल या दूध आदि पर निर्वाह करते है दाढ़ी और सर के बालों को बढ़ाए रहते हैं, अवसर पड़ने पर किसी व्यक्ति को आशीर्वाद देकर उसका द़ुःख दूर कर सकते हैं, वे ही महात्मा अथवा महापुरुष हैं ।। पर यह धारणा बड़ी संकुचित है और वर्तमान परिस्थितियों में अपूर्ण भी है। इसमें संदेह नहीं कि किसी युग में भारत के ऋषि- मुनि जिनमें से अनेक निश्चय ही महापुरुष थे, इसी प्रकार रहते थे। वह समय ऐसा ही था जबकि देशकाल के अनुसार सभी लोग बहुत सीधा- सादा और प्राकृतिक जीवन बिताते थे। उस समय समाज एवं व्यक्तियों की सेवा और भलाई करने की इच्छा रखने वाले महापुरुषों को और भी सरल, अपरिग्रही व तपस्यामय जीवन बिताना पड़ता था, क्योंकि इन्हीं साधनों से वे दूसरे लोगों का उपकार करने में समर्थ होते थे।

पर अब समय बहुत अधिक बदल गया हैं। आवागमन, संसार में होने वाली घटनाओं की जानकारी, व्यापार- व्यवसाय, वैज्ञानिक आविष्कार आदि की अभूतपूर्व वृद्धि के कारण मनुष्यों का जीवन वैसा सीधा और स्वाभाविक रह सकना असंभव हो गया है, जैसा कि कुछ हजार वर्ष पहले था, पर इसका यह अर्थ नहीं कि आजकल महापुरुष नहीं होते अथवा वे पुराने समय वालों की अपेक्षा हीन हैं। उस समय जिस प्रकार जटाजूट रखकर लंगोटी से ही काम चला लेने वाले अधिकांश में इस श्रेणी में आते थे, उसी प्रकार आज कोट- पतलून, हैट- बूट धारण करने वाले और होटलों में रहकर डबल रोटी और चाय से पेट भरने वाले भी महापुरुष माने जाते हैं। 

 

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