सेठ जमनालाल बजाज
एक और भामाशाह- श्री जमनालाल बजाज
सन १९२० में नागपुर कांग्रेस का अधिवेशन हो रहा था ।। वर्धा के प्रसिद्ध सेठ जमनालाल जी उस समय रायबहादुर
आनरेरी- मैजिस्ट्रेट भी थे, उसके स्वागताध्यक्ष थे ।। उस अधिवेशन में विशेष
रूप से महात्मा गाँधी के असहयोग प्रस्ताव पर विचार किया गया और निश्चय
किया गया कि विदेशी सरकार से समस्त प्रकार का संबंध और व्यवहार बंद करके
उसे विवश किया जाय कि भारतवर्ष को स्वराज्य अधिकार देने में अधिक विलंब न
करे ।। इस प्रस्ताव के पास होने पर जमनालाल जी ने सबसे पहले अपनी
रायबहादुरी और आनरेरी मैजिस्ट्रेटी छोड़ने की घोषणा की ।।
इसी अवसर पर उन्होंने महात्मा गांधी से कहा कि यद्यपि आपके चार पुत्र हैं,
तो भी मुझे अपने पाँचवे पुत्र के रूप में स्वीकार कर लें! दूसरे शब्दों में
इसका अर्थ था कि आप मुझे गोद (दत्तक) ले लें ।। यद्यपि एक ऐसे व्यक्ति
द्वारा, जो आकार और वजन की दृष्टि से गांधी जी की अपेक्षा लगभग डयौढे
होंगे, इस प्रकार की गोद लेने की प्रार्थना सुनने वालों को अनौखी जान पडी़
और गांधी जी भी एक बार आश्चर्य में पड़ गये पर उनका आग्रह देखकर इसकी
स्वीकृति दे दी ।।
यद्यपि जमनालाल जी चार वर्ष की आयु में वर्धा के सेठ बच्छराज जी द्वारा
पोते के रूप में गोद लिये गये थे पर उस समय उनको इस परिवर्तन का कोई ज्ञान न
था ।। पर इस बार दत्तक पुत्र होते समय दोनों पक्षों को इस बात के महत्त्व
और र्पारेणामों का अच्छी तरह ज्ञान था ।।
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