प्रेरणाप्रद कथा गाथाएँ
कहानी और कथा सुनने-पढ़ने की रुचि मनुष्य में स्वभावत: पाई जाती
है । जो शिक्षा या उपदेश निबंध के रूप में पढ़ना और हृदयंगम करना कठिन जान
पड़ता है वही कथा-कहानी के रूप में रुचिपूर्वक पढ़ लिया जाता है और समझ में
भी आ जाता है । कारण यही है कि निबंध या लेख विवेचनात्मक होते हैं, उनका
मर्म ग्रहण करने में बुद्धि को विशेष परिश्रम करना पड़ता है । जिन निबंधों
की भाषा अधिक प्रौढ़ अथवा गूढ़ होती है उनके समझने में प्रयत्न भी अधिक करना
पड़ता है और उसके लायक विद्या, बुद्धि तथा भाषा ज्ञान सब व्यक्तियों के पास
होता भी नहीं ।
पर कहानी की बात इससे भिन्न है । वर्णनात्मक प्रसंग सुनने का क्रम आरंभिक
अवस्था से ही चलने लगता है । छोटे बच्चे भी कहानी सुनने का आग्रह करते हैं
और उसे सुनने के लालच से रात में जगते भी रहते हैं । कम पढ़े व्यक्ति भी
कहानी-किस्सा की पुस्तक शौक से पढ़ या सुन लेते हैं । कारण यही कि कहानी में
जो घटनाएँ कही जाती हैं उनमें से अधिकांश हमको अपने या अन्य परिचित
व्यक्तियों के जीवन में घटी हुई सी जान पड़ती हैं । उन्हें समझ लेने में कुछ
कठिनाई नहीं होती । साथ ही कहानीकार उनमें जो थोड़ी बहुत विचित्र अथवा
कुतूहल की बातें मिला देता है उससे पाठक का मनोरंजन भी हो जाता है ।
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