Friday, 29 April 2016

राष्ट्र के अर्थतन्त्र का मेरुदण्ड गौशाला


Preface

गौवंश की महत्ता व उपयोगिता

हमारे प्राचीन ग्रंथ गौ महिमा से भरे पड़े है। मुक्त कण्ठ से गौ महिमा का गायन किया गया है,जिसका कुछ संकेत भर निम्न श्लोकों में किया जा रहा है :-

गौ माता हमारी सर्वापरी श्रद्धा का केन्द्र है और भारतीय संस्कृति की आधारशिला है। वस्तुत: गौमाता सर्वदेवमयी है।अथर्ववेद में उसे रुद्रों की माता बसुओं की दुहिता ,आदित्यों की स्वसा और अमृत की नाभी संज्ञा से विभूषित किया गया है।

माता रुद्राणां दुहिता बसूनां।
स्वसाऽऽदित्यानाममृतस्ये नाभि:॥

भारतीय शास्त्रों के अनुसार गौ में तैंतीस करोड़ देवताओं का वास है।उसकी पीठ में ब्रह्मा,गले में विष्णु और मुख में रुद्र आदि देवताओं का निवास है।
यथा-

सर्व देवा: स्थिता देहे सर्वदेवमयी हि गौ:।
पृष्ठे ब्रह्मा गले विष्णु मुखे रुद्र:प्रतिष्ठित:॥

यही कारण है कि यदि सम्पूर्ण तैंतीस कोटि- देव का षोडशोपचार अथवा पञ्चोपचार पूजन करना हो तो केवल एक गौ माता की पूजा और सेवा करने से एक साथ सम्पूर्ण देवी- देवताओं की पूजा सम्पन्न हो जाती है।अत:प्रेय और श्रेय अथवा समृद्धि और कल्याण ,दोनों की प्राप्ति के लिए"गौ सेवा से बढ़कर कोई दूसरा परम साधन नहीं है।
http://www.awgpstore.com/gallery/product/init?id=489

http://www.awgpstore.com/gallery/product/init?id=489

No comments:

Post a Comment