उपनिषद् में उप और नि उपसर्ग हैं । सद् धातु गति के अर्थ में प्रयुक्त होती
है। गति शब्द का उपयोग ज्ञान, गमन और प्राप्ति इन तीन संदर्भो में होता
है । यहाँ प्राप्ति अर्थ अधिक उपयुक्त है । उप सामीप्येन, नि-नितरां,
प्राम्नुवन्ति परं ब्रह्म यया विद्यया सा उपनिषद अर्थात् जिस विद्या के
द्वारा परब्रह्म का सामीप्य एवं तादात्म्य प्राप्त किया जाता है, वह
उपनिषद् है ।
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