Monday, 4 April 2016

स्वस्थ और सुंदर बनने की विद्या

हँसना- सौ रोगों की एक दवा

यह अच्छी तरह अनुभव कर लिया गया है कि खिलखिलाकर हँसने से अच्छी भूख लगती है, पाचनशक्ति बढ़ती है और रक्त का संचार ठीक गति से होता है ।। क्षय जैसे भयंकर रोगों में हँसना अमृत- तुल्य गुणकारी सिद्ध हुआ है ।। खिल- खिलाकर हँसने से मुँह, गरदन, छाती और उदर के बहुत उपयोगी स्नायुओं को आवश्यकीय कसरत करनी पड़ती है, जिससे वे प्रफुल्लित और दृढ़ बनते हैं ।। इसी तरह मांसपेशियों, ज्ञानतंतुओं और दूसरी आवश्यक नाड़ियों को हँसने से बहुत दृढ़ता मिलती है ।। हँसने का मुँह, गाल और जबड़े पर बड़ा अच्छा असर पड़ता है ।। मुँह की मांसपेशियों और नसों का यह सबसे अच्छा व्यायाम है ।। जिन्हें हँसने की आदत होती है, उनके गाल सुंदर, गोल और चमकीले रहते हैं ।। फेफड़ों के छोटे- छोटे भागों में अकसर पुरानी हवा भरी रहती है, आराम की साँस लेने से बहुत- थोड़ी वायु फेफड़ों में जाती है और प्रमुख भागों में ही हवा का आदान- प्रदान होता है, शेष भाग यों ही सुस्त और निकम्मा पड़ा रहता है, जिससे फेफड़े संबंधी कई रोग होने की आशंका रहती है, किंतु जिस समय मनुष्य खिल- खिलाकर हँसता है, उस समय फेफड़ों में भरी हुई पहले की हवा पूरी तरह बाहर निकल जाती है और उसके स्थान पर नई हवा पहुँचती है ।। मुँह की रसवाहिनी गिलटियाँ हँसने से चैतन्य होकर पूरी मात्रा में लार बहाने लगती हैं ।। पाठक यह जानते ही होंगे कि भोजन में पूरी मात्रा में लार मिल जाने पर उसका पचना कितना आसान होता है? जो आदमी स्वस्थ रहना चाहते हैं, उन्हें चाहिए कि हँसने की आदत डालें ।

स्वस्थ और सुंदर बनने की विद्या @ Buy Online @

http://www.awgpstore.com/gallery/product/init?id=139

No comments:

Post a Comment