Sunday, 24 April 2016

साधु की महान परंपरा और जिम्मेदारी

Preface

भारतवर्ष की साधुता विश्वविख्यात है ।। यहाँ साधु- संतों का सदा से बाहुल्य रहा है, गृहस्थो के रूप में भी और विरक्तों के रूप में भी ।। साधु सज्जन को कहते हैं ।। जिसमें निष्कलंक सज्जनता है, उसे साधु ही कहा जाएगा ।। यह सज्जनता का उच्चतम स्तर है कि अपने समय, श्रम, ज्ञान एवं मनोभाव अपने व्यक्तिगत एवं पारिवारिक प्रयोजनों में सीमित न रखकर उसे समस्त विश्व के लिए समर्पित कर दे ।। अपने व्यक्तित्व को सार्वजनिक संपति समझे और उसका उपयोग इस प्रकार करे कि उसका लाभ अपने शरीर को एवं परिवार को ही नहीं, वरन समस्त विश्व को प्राप्त हो ।। वसुधैव कुटुम्बकम् की उदारता एवं महानता जिस किसी अन्तःकरण में उदय हो रही होगी, वह अपनी आंतरिक महानता के कारण इस धरती का देवता माना जाएगा, उसे साधु- महात्मा कहकर पूजा जाएगा ।।

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