Preface
बेटे, इस वसंत पर हमने आपको बुलाया है और एक मंदिर का रूप हमने दिखाया है, जिसका आप उद्घाटन वसंत पंचमी के दिन करेंगे। हम चाहते हैं कि ये मंदिर बिना एक सेकंड का विलंब लगे, सारे देश भर में फैल जाएँ । नहीं महाराज जी! पैसा इकट्ठा करूँगा, जमीन लूँगा । बेटे, जमीन लेगा और पैसा इकट्ठा करेगा, तब का तब देखा जाएगा । मुझे तो इतना टाइम नहीं है और फुरसत भी नहीं है । मैं तो तुझे इतनी छुट्टी भी नहीं दे सकता कि जब तू पैसा, जमीन इकट्ठी करे, नक्शा पास कराए बिल्डिंग बनवाए तब काम हो । मैं तो चाहता हूँ कि इस हाथ ले और इस हाथ दे । आपके घर में वसंत पंचमी से मंदिर बनने चाहिए । इतनी जल्दी मंदिर कैसे बन सकते हैं? इस तरीके से बनें कि आप एक पूजा की चौकी बना लीजिए । चौकी पर भगवान का चित्र स्थापित कर दीजिए और घर के हरेक सदस्य से कहिए कि न्यूनतम उपासना आप सबको करनी पड़ेगी । उनकी खुशामद कीजिए चापलूसी कीजिए मिन्नतें कीजिए। प्यार से घर में सबसे कहिए कि आप इस भगवान को रोजाना प्रणाम तो कर लिया करें ।
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