Saturday, 2 July 2016

आर्थिक स्वावलंबन भाग-३

Preface

साबुन एक ऐसा उत्पाद है जो हर व्यक्ति, हर घर-परिवार द्वारा इस्तेमाल किया जाता है । कभी समय रहा होगा जब ग्रामीण क्षेत्र के लोग कपड़ा धोने का कार्य रेत अथवा कपड़ा धोने के सोडा के साथ उबाल कर कर लिया करते थे और नहाने के लिए यदा-कदा कपड़ा धोने का साबुन ही इस्तेमाल कर लेते थे । महिलाएँ सिर धोने का काम मुलतानी मिट्टी से करती थीं । परन्तु अब बदलते हुए समय के साथ क्या शहर क्या गाँव सभी जगह नहाने के लिए या कपड़ा धोने के लिये साबुन वैसी ही दैनिक आवश्यकता बन गई है जैसी दैनिक भोजन व आहार की । अपने अपने स्तर के हिसाब से क्या क्वालिटी इस्तेमाल करते हैं ये दीगर बात है परन्तु गाँव के हर घर परिवार में न्यूनतम २-३ किलो साबुन माह में इस्तेमाल होता ही है । पूरे गाँव की आवश्यकता का यदि ऑकलन करें तो क्विंटलों में आयेगा । इसकी पूर्ति के लिए गाँव नजदीक के शहर उाथवा कस्बे पर निर्भर करते हैं । यदि गाँव की इतनी बड़ी दैनिक आवश्यकता की पूर्ति की व्यवस्था व्यवसायिक स्तर पर गाँव की गाँव में ही हो जाये और गाँव की आवश्यकता का साबुन गाँव में ही बनने लगे तो इससे जहाँ कई बेकारों को अपने स्वावलम्बन का आधार मिल सकता है, वहीं अनेक गरीब लोगों की आवश्यकता की पूर्ति सस्ते में हो सकती है । यही नहीं गाँव के स्वावलम्बन की दृष्टि से भी यह इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हो सकता है । यद्यपि साबुन अथवा उसके वर्ग का कोई भी उत्पाद बनाना बहुत सरल है और लोग अपने घर-परिवार की आवश्यकता का साबुन बहुत कम समय में, कम कीमत में आसानी से बना सकते हैं परन्तु कठिनाई यह है कि इसका तकनीकी ज्ञान लोगों को नहीं है, प्रशिदाण की व्यवस्था नहीं है ।
 http://www.awgpstore.com/gallery/product/init?id=943

Buy online @

No comments:

Post a Comment