Saturday, 2 July 2016

दहेज दानव से सामाजिक लड़ाई लड़ी जाय

Preface

दहेज के दानव की कूरताएँ दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं ।। ऐसा कोई भी दिन नहीं बीतता जबकि समाचार पत्रों में दहेज हत्याओं की दो चार खबरें न छपी हों ।। दहेज प्रथा को रोकने के लिए आए दिन कानून बनाये जाते हैं फिर भी इस दानव की गति रुकती नहीं दिखलाई पड़ती, बढ़ती ही जाती है ।। 

कानून अपने स्थान पर उपयुक्त हैं, उपयोगी भी हैं ।। जरूरत पड़ने पर उन्हें बदला जा सकता है और बदला भी जाता है ।। परंतु दहेज दानव पर काबू पाने के लिए सामाजिक चेतना जाग्रत करने की आवश्यकता है ।। यह लड़ाई सामाजिक स्तर पर लड़ी जानी चाहिए और इसके लिए प्रबुद्ध नागरिकों, जाग्रत युवक- युवतियों को आगे आना चाहिए ।। ऐसे आदर्श प्रस्तुत किए जांय जिन्हें लोग देखें, प्रेरणा प्राप्त करें और अनुकरण की दिशा में कदम बढ़ा सकें ।। 

प्रारंभ में हम ऐसी ही कुछ घटनाओं का जिक्र कर रहे है जिनसे हम कुछ सीख सकते हैं ।। घटनाएं बीस- पच्चीस वर्ष पुरानी है, इससे भी अधिक पुरानी हो सकती हैं परंतु उनसे जो दिशा मिलती है, उसकी अभी भी सार्थकता है ।। कहना तो यह चाहिए कि इन घटनाओं से प्राप्त प्रेरणा की जितनी उस समय आवश्यकता थी, उससे कहीं अधिक आवश्यकता आज है ।।
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