Saturday, 2 July 2016

दहेज एक कुरीति

Preface

मनुष्यता के अनुबंध यह कहते हैं कि किसी पुरुष को बिना कोई कीमत चुकाए यदि आजीवन सेवा के लिए पत्नी मिलती है तो उसे न केवल उस महिला का वरन उसके समूचे परिवार का भी आजीवन कृतज्ञ रहना चाहिए ।। बिना वेतन के दिन- रात सेवा करने वाले सेवक किसी को कहाँ मिल सकते हैं ।। यह उदार सेवा- साधना तो मात्र नारी से ही बन पड़ती है कि वह अपने घर- परिवार को छोड़कर दूसरों के यहाँ रहे और मात्र रोटी, कपड़े पर दिन- रात आजीवन सेवा- साधना में रत रहे ।। इस प्रकार सहज ही अपना पितृगह छोड़कर अन्यत्र जाने को सहमत किसी नारी के प्रति ससुराल के प्रत्येक सदस्य को कृतज्ञ होना चाहिए ।। उपकार का बदला न चुका सकने पर भी निरंतर ऐसा अनुभव करते रहना चाहिए कि उसे बहुमूल्य उपकार अनुदान प्राप्त करने का सौभाग्य मिला है ।। 

किंतु हिंदू समाज में होता ठीक इससे उल्टा है ।। वधू से यह आशा की जाती है कि वह अपने साथ पिता के घर का सारा असबाब भी ढोकर लाएगी ।। भले ही इसे जुटाने में उस परिवार को दर- दर का भिखारी क्यों न बनना पड़े ।। माँग- जाँच तक बात सीमित रहे तो भी एक बात है ।।
 http://www.awgpstore.com/gallery/product/init?id=722

Buy online @

No comments:

Post a Comment