Saturday, 2 July 2016

हथकरघा प्रोद्योगिकी - एक परिचय

Preface

निःसंदेह परम पूज्य गुरुदेव की युग निर्माण योजना एवं ग्राम विकास की ग्रामतीर्थ अन्योन्याश्रित है, क्योकि आज भी दो तिहाई भारत गाँवो मे बसता है, जनगणना के जो प्रारम्भिक आँकडे़ प्रकाशित हुए है, वह इस बात की पुष्टि भी करते है। अतः युग परिवर्तन की प्रत्येक योजना हमे ग्राम केन्द्रित ही रख्नी होगी ।। युगऋषि पूज्य गुरुदेव का यह मानना है कि अर्थव्यवस्था का सर्वाधिक विरोधाभासी पहलू यह रहा है कि भारत का विकास, भारतीय सोच एवं भारतीय मानसिकता के साथ न करके उसे यूरोप एवं अमेरिकी मॉडल पर आधारित किया गया है, जबकि इन देशों की परिस्थितियाँ भारतीय परिवेश से सर्वदा भिन्न रही ।। प्रचुर श्रमशक्ति जो कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए वरदान हो सकती थी, वह अर्थव्यवस्था के गलत मॉडल का चयन करने के कारण एक अभिशाप बनकर हमारे लिए बेरोजगारी, अशिक्षा एवं गरीबी का मूल कारण सिद्ध हो रही है ।। गाँवों से पलायन शहरों का असंतुलित विस्तार, अमीरों एवं गरीबों के बीच चौड़ी होती खाई इसी गलत अर्थव्यवस्था के चयन का दुष्परिणाम है ।। 

युग परिवर्तन के इस संक्रमण काल में हमें युगऋषि के संकेतों को समझते हुए ग्रामतीर्थ योजना के विराट कलेवर को अंगीकार करना होगा ।। जब तक भारत के गाँवों का समग्र विकास नही होगा, तब तक भारत के विकास की परिकल्पना कोरा दीवास्वप्न ही है ।। एक संस्कारयुक्त- व्यसनमुक्त, स्वच्छ- स्वस्थ शिक्षित स्वावलम्बी गाँव ही युग परिवर्तन के विशाल वट वृक्ष को बीज रूप में अपने में समाहित किये हुए है ।। हमें तो बस अपने स्तर से अनुकूल वातावरण तैयार करना है ।। गाँव में बसने वाली प्रचुर युवा श्रम शक्ति स्वयं ही अपने विकास की राह अपने संसाधनों से खोज लेगी ।। गाँवों का विकास ऋषि सूत्रों पर आधारित आध्यात्मिक अर्थ व्यवस्था से ही सम्भव है ।।
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