Saturday, 2 July 2016

पशुबलि-हिन्दू धर्म एवं विश्व मानवता पर एक कलंक

Preface

पशुवबलि हिंदू धर्म पर कलंक है 

हिंदू धर्म का मूलभूत तत्त्वज्ञान इतना महान है कि उसके प्रत्येक सिद्धांत एवं विधान में विश्व कल्याण की, मानवता के चरम उत्थान की संभावनाएँ ही सन्निहित हैं ।। देवताओं और ऋषियों ने इस महान धर्म का ढाँचा इतने उच्च कोटि के आदर्शों द्वारा विनिर्मित किया है कि उसके व्यवहार का परिणाम स्वर्गीय वातावरण का निर्माण ही हो सकता है ।। परंतु दुख की बात है कि पिछले अज्ञानांधकार युग में उसमें जहाँ- तहाँ अनैतिक और अहितकर मान्यताओं और रूढ़ियों का भी समावेश होने लगा और आज जो रूप हिंदू धर्म का हमारे सामने है, उसमें कई चीजें बहुत खटकने वाली ही नहीं, उन भावनाओं के सर्वथा प्रतिकूल भी हैं, जिनको लेकर ऋषियों ने इस महान धर्म की रचना की थी ।। 

ऐसी विकृतियों में पशुबलि को सर्वोपरि कलंकी प्रथा कहा जा सकता है ।। मूक पशु- पक्षियों का देवी- देवताओं के नाम पर कत्ल किया जाना उन देवताओं की महिमा को समाप्त करके सारे सभ्य समाज के सामने उन्हें गुणित, निंदित, नीच, क्रूर एवं हत्यारा सिद्ध करना है ।। जिस देवता को प्रसन्न करने के लिये बलि चढ़ाई जाती है, वस्तुत उन्हें असीम कष्ट और असीम लज्जा इस कुकृत्य से होती है ।।
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