संतुलन और गतिशीलता का एकमात्र आधार

कुछ समय पूर्व यह समझा जाता था कि रक्त - मांस का पिंड शरीर आहार- विहार
द्वारा संचालित होता है ।। यह तो पीछे मालूम पड़ा कि आहार शरीर रूपी इंजिन
को गरम बनाए रहने के लिए ईंधन मात्र का काम करता है ।। उस आधार पर यह भी
पाया गया कि पेट, हृदय और फेफड़ों को संचालक तत्त्व नहीं माना जा सकता ।।
शरीर के समस्त क्रियाकलापों का संचालन मूलत: चेतन और अचेतन मस्तिष्कों
द्वारा होता है उन्हीं की प्रेरणा से विविध अंग अपना- अपना काम चलाते है ।।
अस्तु स्वास्थ्य बल एवं बुद्धिबल को विकसित करने के लिए मस्तिष्क विद्या
के गहरे पर्तों का अध्ययन आवश्यक समझा गया है और अभीष्ट परिस्थितियाँ
उत्पन्न करने के लिए उसी क्षेत्र को प्रधानता दी गई ।। पिछले दिनों जीव
विज्ञानियों ने शरीर शोध अन्वेषण की ओर से विरत होकर अपना मुँह मनशास्त्र
की ऊहापोह पर केंद्रित किया है ।।
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