सार्थक एवं आंनन्दमय वृद्धावस्था
आप यदि आयु के पचास वर्ष पार करने जा रहे हैं, तो इस पुस्तक का
अध्ययन अवश्य करें। इस पर चिंतन-मनन से आपके भविष्य के जीवन की सार्थकता
सुनिश्चित हो सकेगी ।
यदि आप अभी युवावस्था में ही हैं, गृहस्थ हैं, विद्यार्थी हैं, तब तो यह
पुस्तक और अधिक उपयोगी सिद्ध होगी । वर्तमान जीवनचर्या में, आचार-विचार
में, चिंतन और चरित्र में यदि किसी प्रकार की त्रुटि है, तो उसे दूर कर
सकेंगे । भविष्य की समुचित तैयारी कर सकेंगे । अपने साथ-साथ परिवार एवं
समाज का भी कल्याण कर सकेंगे ।
यदि आप एक समाज सेवक हैं, तब तो आपका दायित्व और भी अधिक बढ़ जाता है । समाज
के अन्य विचारशील परिजनों को संगठित करके वृद्धजनों के कल्याण हेतु
रचनात्मक पहल करने में यह पुस्तक बहुत ही सहायक होगी ।
वृद्धावस्था भगवान् का एक वरदान है । इसकी गरिमा को समझें एवं इसे उपयोगी और आनंदमय बनाएं ।
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