सरस-सफल जीवन का केंद्रबिन्दु उत्कृष्ट चिंतन
मनुष्य के हृदय भंडार का द्वार खोलने वाली, निम्नता से उच्चता की
ओर ले जाने वाली, गुणों का विकास करने वाली, यदि कोई वस्तु है तो
प्रसन्नता ही है ।। यही वह साँचा है जिसमें ढलकर मनुष्य अपने जीवन का
सर्वतोमुखी विकास कर सकता है ।। जीवन यापन के लिए जहाँ उसे धन, वस्त्र,
भोजन एवं जल की आवश्यकता पड़ती है वहाँ उसे हल्का- फुल्का एवं प्रगतिशील
बनाने के लिए प्रसन्नता भी आवश्यक है ।। प्रसन्नता मरते हुए मनुष्य में
प्राण फूँकने के समान है ।। प्रसन्न और संतुष्ट रहने वाले व्यक्तियों का ही
जीवन किरण बनकर दूसरों का मार्ग दर्शन करने में सक्षम होता है ।।
प्रसिद्ध दार्शनिक इमर्सन ने कहा है “ वस्तुत: हास्य एक चतुर किसान है जो
मानव जीवन पथ के कांटों, झाड़- झंखाड़ों को उखाड़ कर अलग करता है और सदगुणों
के सुरभित वृक्ष लगा देता है जिसमें जीवन यात्रा एक पर्वोत्सव बन जाती है
।। "
जीवन यात्रा के समय में मनुष्य को अनेक कठिनाइयों एवं समस्याओं का सामना
करना पड़ता है, किंतु इसी का अमृत का पान कर मनुष्य जीवन संग्राम में
हँसते- हँसते विजय प्राप्त कर सकता है ।। इतिहास के पृष्ठों पर निगाह डालें
तो पता चलेगा कि महान व्यक्तियों के संघर्षपूर्ण जीवन की सफलता का रहस्य
प्रसन्नता रूपी रसायन का अनवरत सेवन करते रहना ही है ।।
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