रामायण में पारिवारिक आदर्श
रामायण सत् शिक्षाओं का भंडार है एक प्राचीन कथा के माध्यम से
रचयिता ने दिखलाया है कि परिवार के प्रत्येक सदस्य का व्यवहार कैसा होना
चाहिए ?? पिता- पुत्र के कर्त्तव्य माता की ममता सास- बहू का मधुर संबंध
भाइयों का निस्वार्थ प्रेम ससुराल वालों का सद्भाव पति- पत्नी की पारस्परिक
निष्ठा नारी जाति की मान्यता और सम्मान आदि सभी समाजनिर्माण और व्यक्ति
निर्माण से संबंधित विषयों को ऐसे सरल और प्रभावशाली प्रसंगों के द्वारा
समझाया गया है कि छोटे- बड़े सभी पर हितकारी प्रभाव पड़ सकता है।
भारतवर्ष का समाजतंत्र इस: समय परिस्थितियों के बदल जाने से बहुत
विकारग्रस्त हो गया है। विशेष रूप से पारिवारिक जीवन में ऐसी विषमताएँ
उत्पन्न हो गई हैं जिनके कारण १५ प्रतिशत परिवारों में बाह्य और आंतरिक
वैमनस्य की घटनाएँ होती रहती है, जो अनेक बार मारकाट और हत्याकांडो में भी
परिणत हो जाती हैं ऐसे लोगों के लिए " रामचरितमानस " की शिक्षाएँ निस्संदेह
अनमोल सिद्ध होगी इस पुस्तक में राम्- लक्ष्मण के अनुपम सहयोग भरत की
निस्वार्थ निष्ठा और कर्त्तव्य पालन कौशल्या की, हनुमान का सेवा धर्म पालन
सीता की पतिनिष्ठा निषादराज गुह का शुद्ध मैत्री- भाव आदि के जो प्रसंग
उठाए गए हैं वे पाठक की पर निश्चय ही अनुकूल प्रभाव डालने वाले हैं उनसे
शिक्षा ग्रहण करके अपनी परिस्थितियों में सुधार करना सबके लिए कल्याणकारी
होगा।
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