संकल्प सक्रियता और साहस को जब सही दिशा में नियोजित किया जाता
है तो वे सत्कर्म का आधार बनते हैं । इसीलिए जीवट, साहस, सक्रियता के साथ
ही सद्भाव और सद्ज्ञान भी जरूरी है ताकि सही दिशा का चुनाव किया जा सके और
निष्ठा पूर्वक उसी ओर बढ़ते रहा जाए। सत्कर्म, सद्ज्ञान और सद्भाव का संगम
ही श्रेष्ठ जीवन की सुनिश्चित रीति-नीति है ।
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