Friday, 17 February 2017

जीवन की श्रेष्ठता और सदुपयोग्

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1. जीवन की श्रेष्ठता और उसका सदुपयोग
2. कल्याण का मार्ग तो यह एक ही है
3. दृष्टिकोण में सुधार आवश्यक
4. अपनी महानता में विश्वास रखें
5. पात्रता के अनुरूप पुरस्कार मिलेगा
6. हमारी भावी पात्रता और उसका स्पष्टीकरण
7. न किसी को कैद करें, न किसी के कैदी बनें
8. सेवा की साधना आवश्यक
9. सेवा भावना बिना मन मरघट
10. कृपणता सृष्टि परम्परा का व्यतिरेक
11. पृथकता छोड़े सामूहिकता अपनाएँ
12. आत्म तुष्टि ही नहीं परोपकार भी
13. सम्पदाएँ नहीं-विभूतियाँ कमाएँ
14. मिल जुलकर आगे बढ़िए
15. जीवन को सेवामय बनाइए
16. प्रेमयोग ही भक्ति साधना
17. निष्काम भक्ति में दुहरा लाभ
18. जीवन की रिक्तता प्रेम प्रवृत्ति से ही भरेगी
19. विरानों से प्यार-स्वयं का तिरस्कार ऐसा क्यों ?
20. हम अपने को प्यार करें, ताकि ईश्वर का प्यार पा सकें
21. रामायण की प्रेम परिभाषा
22. प्रेम का अमरत्व और उसकी व्यापकता
23. प्रेम की सृजनात्मक शक्ति
24. प्रेम रूपी अमृत और उसका रसास्वादन
25. प्रेम का प्रयोग उच्च स्तर पर


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