गमलों में स्वास्थ्य
आयुर्वेद का पुनरुद्धार शांतिकुंज हरिद्वार के तत्त्वावधान में
संचालित ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान का एक अभिनव प्रयास है ।। ऋषि युग्म पं०
श्रीराम शर्मा आचार्य एवं वंदनीया माताजी के सूक्ष्म संरक्षण में संचालित
इस अभियान का एकमात्र उद्देश्य जनमानस को नैसर्गिक जीवन की मुख्य धारा से
जोड़ना है ।। इस मुख्य धारा से जुड़े स्वस्थ नागरिक ही वर्तमान विभीषिकाओं से
मोर्चा लेकर "बहुजन हिताय बहुजन सुखाय" के नीति वाक्यों को व्यावहारिक
जीवन में चरितार्थ कर सकने में समर्थ हो पाएँगे ।। ऐसी स्थिति में जीवनी
शक्तिवर्धक इस विधा से जनसामान्य का परिचित होना नितांत आवश्यक है ।।
हमारा ऋषितंत्र प्राचीनकाल से ही वृक्ष- वनस्पतियों में अंतर्निहित
तत्त्वों के माध्यम से जनमानस को समग्र स्वास्थ्य के राजमार्ग पर अग्रसर
करता रहा है ।। कालांतर में बृहत्तर भारत में समाविष्ट अन्यान्य
संस्कृतियों के साथ- साथ विभिन्न प्रकार की चिकित्सा पद्धतियों का प्रचलन
भी स्वाभाविक रूप से जनसमाज का एक अभिन्न अंग बन गया ।।
समाज के विकास के साथ- साथ मनुष्य की बौद्धिक क्षमता में वृद्धि हुई, निदान
के अत्याधुनिक उपाय भी खोज लिए गए ।। मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालने
वाले जीवाणुओं- विषाणुओं की तत्काल पहचान कर उनके त्वरित निराकरण की
पद्धतियाँ भी ढूँढ़ निकाली गयीं, परंतु स्वास्थ्य लाभ की आवेशपूर्ण जल्दबाजी
ने मानव समाज को आधुनिक औषधियों का गुलाम बनाकर हमारे चिंतन में दूरगामी
विवेकशीलता के अभाव का ही परिचय दिया ।।
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