Saturday, 18 February 2017

जीवन पथ के प्रदीप

http://www.awgpstore.com/gallery/product/init?id=548जीवन पथ के प्रदीप आपको उजियारे की सौगात सौंपने के लिए आए हैं । जीवन के लिए उजियारा बहुत जरूरी है । पथ पर उजियारा न हो तो अनायास ही भय, भ्रम और भटकन घेर लेते हैं । अँधेरे में, मन में अचानक ही अवसाद, विषाद का कुहाँसा छा जाता है । खिन्नता-विपन्नता ऐसे में जीवन का जैसे अविभाज्य अंग बन जाती है ।

आज की दशा कुछ ऐसी ही हो गयी है । मनुष्य के जीवन पथ, उसकी चेतना को अंधियारी ने घेर लिया है । वह भयभीत है, भ्रमित है, विषादग्रस्त है । अपने ही भ्रम में उसने स्वयं की छाया को भूत समझ लिया है और भयक्रान्त हो गया है । इसी भय और भ्रम में फँस कर उसने अपने से, अपनों से यद्ध छेड़ दिया है । लगातार चोटिल होने के बावजूद वह लड़े जा रहा है और उसके घाव बड़े जा रहे हैं ।

अंधियारे के कारण न तो किसी को सूझ रहा है और न समझ में आ रहा है कि वह किसी और से नहीं बल्कि अपने से और अपनों से लड़े जा रहा है । चोटें बढ़ रही हैं, घाव रिस रहे, पर इन्सान का उन्माद व उसका अवसाद कम नहीं हो रहा है । इनमें कमी तभी आ सकती है, जबकि जीवन पथ का अंधियारा घटे, हटे और मिटे । 

 

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